गाजियाबाद — पुलिस कमिश्नरेट में कानून व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में पुलिस आयुक्त जे. रविंद्र गौड़ ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अब किसी एक मामले में दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज कराना आसान नहीं होगा।
आयुक्त के अनुसार, कई बार झगड़े या विवादों में दोनों पक्ष एक-दूसरे पर एफआईआर दर्ज करा देते हैं, जिससे जांच अधिकारी के लिए सच्चाई तक पहुँचना कठिन हो जाता है। ऐसे मामलों में अब बिना जांच और वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के क्रॉस एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकेगी।
नई प्रक्रिया के तहत क्या होगा?
थानाध्यक्ष या विवेचक सीधे क्रॉस एफआईआर दर्ज नहीं करेगा।
पहले घटनाक्रम की प्रारंभिक जांच की जाएगी।
इसके बाद रिपोर्ट संबंधित अपर पुलिस आयुक्त या सहायक पुलिस आयुक्त को दी जाएगी।
वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति मिलने पर ही दूसरी एफआईआर दर्ज की जाएगी।
आदेश की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
---
2640 अपराधियों ने ली अपराध छोड़ने की शपथ
रविवार को गाजियाबाद पुलिस ने अपराध नियंत्रण की दिशा में एक नई पहल की। जिले के सभी थानों में कुल 2640 अपराधियों को बुलाया गया और भविष्य में अपराध न करने की शपथ दिलाई गई। इसका उद्देश्य उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और अपराध की दुनिया से बाहर लाना था।
मुख्य बिंदु:
लूट, चोरी, अवैध शराब, जुआ-सट्टा, गौकशी और एनडीपीएस एक्ट जैसे मामलों में लिप्त अपराधियों को बुलाया गया।
बीते 10 वर्षों में चिन्हित अपराधियों के आपराधिक इतिहास की समीक्षा और उनकी वर्तमान गतिविधियों का सत्यापन किया गया।
अपराध न दोहराने का वचन लेते हुए सभी को शपथ दिलाई गई।
पुलिस ने भरोसा दिलाया कि बिना वजह कोई कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन अपराधियों को भी अपने जीवन में बदलाव लाना होगा।
डीसीपी सिटी राजेश कुमार ने कहा कि यह सिर्फ निगरानी नहीं बल्कि सुधार का एक प्रयास है — "सख़्ती के साथ सुधार भी हमारी प्राथमिकता है।"
सर्वाधिक चिन्हित अपराधी लोनी (300), लोनी बार्डर (218), मोदीनगर (200), साहिबाबाद (92), और टीला मोड़ (82) क्षेत्रों में पाए गए। सभी थानों में इनकी प्रोफाइल तैयार कर डाटाबेस भी अपडेट किया गया।