गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाई जा रही सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। फर्रुखनगर से सिरोरा गांव के बीच बनाई जा रही सड़क लोगों के हाथों से ही उखड़ रही है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। निर्माण कार्य में घटिया सामग्री इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने शिकायत की, जिसके बाद मौके पर पहुंचे मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव गोपाल ने जांच के आदेश दिए।
एक हफ्ते में उखड़ गई सड़क
यह सड़क महज एक सप्ताह पहले बनी थी, लेकिन अभी तक कुल 9.7 किलोमीटर में से सिर्फ तीन किलोमीटर का निर्माण हुआ है। ग्रामीणों ने जब सड़क की परत को हाथ से ही उखाड़कर दिखाया तो सीडीओ और मौजूद अधिकारी भी चौंक गए। कई स्थानों पर लोगों ने पैरों और हाथों से सड़क की ऊपरी सतह निकाल दी।
मानसून में बहने का खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सड़क बारिश शुरू होते ही बह जाएगी। पहले ही सड़क की हालत जर्जर थी, आए दिन हादसे होते रहते थे। ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से सड़क बनवाने की मांग की थी, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने इस परियोजना का प्रस्ताव बनाकर शासन से मंजूरी ली थी।
जर्मन तकनीक का दावा, लेकिन परिणाम विपरीत
पीडब्ल्यूडी ने सड़क निर्माण में जर्मन फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (FDR) तकनीक अपनाने का दावा किया है। इसके तहत पुरानी सड़क की सामग्री को बारीक कर उसमें सीमेंट और रसायन मिलाए जाते हैं। हालांकि ग्रामीणों और अधिकारियों के सामने सड़क की हालत ने इन दावों की पोल खोल दी। सीडीओ ने मौके पर ही सैंपल लेकर लैब में जांच के आदेश दिए हैं।
यदि दोषी पाया गया, तो दोबारा बनेगी सड़क
सीडीओ अभिनव गोपाल ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद यदि गुणवत्ता में कमी पाई जाती है तो संबंधित विभाग को पूरी सड़क दोबारा बनवानी होगी। फिलहाल शिकायतकर्ताओं की उपस्थिति में सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
आंकड़ों में मामला:
सड़क की लंबाई: 9.7 किलोमीटर
चौड़ाई: 3.7 मीटर
प्रभावित ग्रामीण: 10,000+
जांच में शामिल ग्रामीण: 50+