📍 गाजियाबाद: नगर निगम में हाउस टैक्स वृद्धि के विरोध में शनिवार के बाद रविवार को भी जोरदार विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। बड़ी संख्या में पार्षदों ने निगम कार्यालय में डेरा डाल रखा है। वे हाउस टैक्स बढ़ोतरी को रद्द करने की कार्रवाई की आधिकारिक कॉपी (मिनट्स) की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं।
💥 क्या है मामला?
30 जून को हुई बोर्ड बैठक में हाउस टैक्स वृद्धि सर्वसम्मति से निरस्त की गई थी।
महापौर सुनीता दयाल, सांसद अतुल गर्ग, कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, विधायक अजीत त्यागी समेत सभी सत्ताधारी नेता बैठक में मौजूद थे।
इसके बावजूद नगर निगम अधिकारी पुराने फैसले को दरकिनार कर टैक्स वृद्धि के नोटिस भेज रहे हैं।
📢 धरना-प्रदर्शन का दूसरा दिन
रविवार को भी पार्षदों ने नगर निगम कार्यालय में धरना जारी रखा।
सुबह से ही कार्यालय की गैलरी पर कब्जा कर जमकर नारेबाजी की गई।
“कर्मचारी जिंदाबाद” जैसे नारे लगाते हुए पार्षदों ने निगम के कामकाज को ठप कर दिया।
🧾 मिनट्स की मांग पर अड़े पार्षद
4 जुलाई को पार्षदों का एक प्रतिनिधिमंडल अपर नगर आयुक्त जंग बहादुर यादव से मिला था, उन्होंने 10 दिन में मिनट्स देने का आश्वासन दिया था।
14 जुलाई को दोबारा मुलाकात की गई, लेकिन फिर टाल दिया गया।
18 जुलाई को फिर से पहुंचकर पार्षदों ने मांग दोहराई, लेकिन अफसरों ने आज भी समय मांगा।
⚠️ अधिकारियों पर तानाशाही के आरोप
पार्षदों का आरोप है कि अफसर महापौर, सांसद, विधायक तक की नहीं सुन रहे।
यह सदन और जनप्रतिनिधियों का खुला अपमान है।
भाजपा पार्षदों ने निगम परिसर में ही रात से धरना शुरू कर दिया है।
🚧 विकास कार्यों पर ब्रेक
अधिकारियों ने पार्षद कोटे के विकास कार्य भी रोक दिए हैं।
इससे नाराज पार्षदों ने आंदोलन को तेज कर दिया है।
👥 कौन-कौन रहे धरने में शामिल?
प्रमुख पार्षद:
नीरज गोयल
हिमांशु शर्मा
गौरव सोलंकी
कुसुम गोयल
नरेश भाटी
पूनम सिंह
राजकुमार सिंह भाटी
साथ ही अन्य समर्थक पार्षद: भूपेंद्र उपाध्याय, देवनारायण शर्मा, कन्हैया लाल, संतोष राणा, शिवम शर्मा, राहुल शर्मा, शशि, पवन गौतम, मदन राय, प्रीति, अभिनव जैन, ओमपाल भाटी, धीरज अग्रवाल, संजय त्यागी, पवन गौतम, अनिल तोमर, प्रमोद राघव, अजीत निगम, विनील दत, मुन्नी कश्यप, प्रतिमा शर्मा, जगत सिंह, शशि खेमका, राजकुमार, राजू, वीर सिंह और अन्य।
🔚 फिलहाल स्थिति
पार्षदों ने साफ कहा है: जब तक मिनट्स की कॉपी नहीं मिलती, तब तक निगम से नहीं हटेंगे।
इस मामले में आने वाले दिनों में और बड़ा आंदोलन हो सकता है।
📝 यह संघर्ष सिर्फ
टैक्स के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनप्रतिनिधियों की गरिमा की रक्षा के लिए है।