रिपोर्ट सौरव दीक्षित समाचार प्रभारी
साहिबाबाद। सुप्रीम कोर्ट के संशोधित फैसले ने आवारा कुत्तों को लेकर लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सोसायटियों में पहले से फीडिंग पॉइंट बने होने के बावजूद कई डॉग लवर्स सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाते हैं, जिससे हमले बढ़ रहे हैं।
लोगों ने सवाल उठाया कि आक्रामक कुत्तों की पहचान कैसे होगी और नसबंदी की व्यवस्था नगर निगम के पास नहीं है। उनका कहना है कि काटने के बाद ही कुत्ते की आक्रामकता सामने आती है, जो घातक साबित हो सकती है।
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था, लेकिन 22 अगस्त के संशोधित आदेश में कहा गया कि नसबंदी व टीकाकरण के बाद कुत्तों को वहीं छोड़ा जाएगा। शेल्टर होम में केवल आक्रामक कुत्ते रखे जाएंगे।
लोगों का मानना है कि असली समाधान कुत्तों को आश्रय गृहों में रखना ही है।
लोगों की राय:
“फीडिंग पॉइंट होने के बावजूद लोग सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खिलाते हैं। यही सबसे बड़ी समस्या है।” – राकेश राय, शिप्रा सन सिटी सोसाइटी
“फैसले से राहत की उम्मीद थी, लेकिन अब स्थिति और जटिल हो जाएगी।” – सुशील कुमार चौबे, शिप्रा सन सिटी सोसाइटी
“लोग आश्रय गृहों को ही बेहतर समाधान मान रहे हैं।” – संजय सिंह, पार्षद वार्ड-100
“संस्थाओं को जिम्मेदारी से काम करना होगा, औपचारिकता से समस्या नहीं सुलझेगी।” – डॉ. दीपक डे, चिकित्सक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डॉग लवर्स में खुशी की लहर
साहिबाबाद। आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संशोधित फैसले से डॉग लवर्स में खुशी की लहर दौड़ गई है। कोर्ट ने साफ कहा है कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ा जाएगा। केवल आक्रामक और हिंसक कुत्तों को ही शेल्टर होम भेजा जाएगा।
डॉग लवर्स का कहना है कि यह फैसला इंसान और जानवर दोनों के हित में है। उनका मानना है कि आवारा कुत्तों को पूरी तरह से शेल्टर में रखना न तो व्यावहारिक है और न ही मानवीय।
अब जिम्मेदारी नगर निगम की होगी कि वह समय पर नसबंदी और टीकाकरण
कराए।
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