ईरान में फंसे एमबीबीएस छात्र की आपबीती: गाजियाबाद के पिता की प्रधानमंत्री मोदी से भावुक अपील — ‘बेटे ने मौत को करीब से देखा’
ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध के बीच गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र का रहने वाला रिजवान हैदर तेहरान में फंस गया है। रिजवान वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। इस मुश्किल हालात में उसके परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेटे को सुरक्षित भारत लाने की गुहार लगाई है।
तेहरान में पढ़ाई कर रहा है रिजवान
रिजवान लोनी के बेहटा हाजीपुर इलाके का निवासी है और एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए तेहरान गया था। उसके पिता मोहम्मद अली ने बताया कि बेटे की पढ़ाई के लिए परिवार ने मेहनत से संसाधन जुटाकर उसे ईरान भेजा था। रिजवान विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है।
बमबारी से ध्वस्त हुआ हॉस्टल, बाल-बाल बचा रिजवान
परिवार ने बताया कि रविवार शाम करीब चार बजे रिजवान खाने के लिए हॉस्टल से बाहर एक होटल गया था। उसी दौरान इस्राइल की ओर से की गई बमबारी में उसका हॉस्टल पूरी तरह तबाह हो गया। अगर वह हॉस्टल में होता तो उसकी जान बचना मुश्किल था। इस हादसे के बाद छात्रों को दूसरे हॉस्टल में शिफ्ट किया गया है।
पिता ने पीएम मोदी से की भावुक अपील
रिजवान के पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह व्यक्तिगत हस्तक्षेप करते हुए उनके बेटे सहित अन्य भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा, "मेरा बेटा मौत को बेहद करीब से देखकर लौटा है, अब हमारी बस यही प्रार्थना है कि वह सुरक्षित भारत लौट आए।"
भारतीय दूतावास की एडवाइजरी जारी
तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने सभी भारतीय नागरिकों से घर के अंदर रहने और आधिकारिक सूचना चैनलों पर नजर बनाए रखने की अपील की है। दूतावास ने टेलीग्राम चैनल और व्हाट्सएप के माध्यम से अपडेट देने की व्यवस्था की है। इसके अलावा आपात स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।
छात्रों में डर का माहौल, विश्वविद्यालय से नहीं मिल रही मदद
परिजन और छात्र दहशत में हैं। रिजवान के पिता का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से भी उन्हें पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है। वहां मौजूद भारतीय छात्र बेहद डरे हुए हैं और फिलहाल हॉस्टल के अंदर ही रहकर हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं।
अब परिजन सरकार से जल्द से जल्द कोई कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उनके बेटे की जान सुरक्षित रहे और वह सकुशल अपने वतन लौट सके।
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