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शनिवार, 14 जून 2025

पत्रकार सोसाइटी घोटाला: आवास विकास अधिकारी ने खुद के नाम किया फ्लैट, विधायक ने मुख्यमंत्री और सहकारी समिति लखनऊ को लिखा पत्र, मांगा जवाब और की कार्रवाई की मांग

 



भ्रष्टाचार की पढ़िए पूरी खबर


गौतमबुद्ध नगर/गाजियाबाद, 14 मई 2025:

पत्रकार सोसाइटी नोएडा और मीडिया विलेज सहकारी आवास समिति, ग्रेटर नोएडा में एक चौंकाने वाला भ्रष्टाचार सामने आया है, जहां वर्तमान में गाजियाबाद में तैनात उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद (सहकारिता) के सहकारी अधिकारी अरिमर्दन सिंह गौर ने नियमों को ताक पर रखते हुए खुद के नाम पर फ्लैट बुक करवा लिया। यह मामला उजागर होने के बाद गाजियाबाद शहर से विधायक संजीव शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सहकारी अधिकारी अरिमर्दन सिंह गौर


मामला ऊर्जा सहकारी आवासीय संस्था लिमिटेड, नोएडा और मीडिया विलेज सहकारी समिति, ग्रेटर नोएडा से जुड़ा है, जहां फ्लैट केवल पत्रकारों को आवंटित किए जाने थे। लेकिन सहकारी अधिकारी अरिमर्दन सिंह गौर द्वारा स्वयं के नाम पर प्लॉट प्राप्त किया गया, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। ज़िलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर ने इस मामले में दिनांक 24 जनवरी 2025 को पत्र संख्या 3944/एपीटीओ-एडीओएचएफ/2025 के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की थी।

विधायक संजीव शर्मा


विधायक संजीव शर्मा का आरोप है कि अरिमर्दन सिंह गौर ने न केवल खुद के नाम पर फ्लैट लिया, बल्कि अपने स्वजन—जैसे भाई-बहन व रिश्तेदारों—के नाम पर भी नियमों को दरकिनार करते हुए पत्रकार सोसाइटी और मीडिया विलेज सोसाइटी में फ्लैट बुक करवा दिए। इस प्रकरण की शिकायतें पहले भी की जा चुकी थीं, लेकिन कार्रवाई न होने से अधिकारी के हौसले और बुलंद हो गए।



विधायक ने यह भी बताया कि जिलाधिकारी की संस्तुति के बावजूद न तो अरिमर्दन सिंह गौर को उनके मूल विभाग में वापस भेजा गया, न ही कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई। इसके चलते विधायक ने मांग की है कि अरिमर्दन सिंह गौर को तत्काल उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद, लखनऊ से हटाकर मूल विभाग सहकारिता में भेजा जाए, और गाजियाबाद, नोएडा व ग्रेटर नोएडा में उनकी तैनाती के दौरान की गई गतिविधियों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।


निष्कर्ष:

पत्रकारों के लिए बनाई गई सोसाइटी में इस तरह की अनियमितता न केवल भ्रष्टाचार को उजागर करती है, बल्कि सरकारी तंत्र की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। अब नजर इस पर है कि मुख्यमंत्री और शासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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