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महिला दरोगा ने दहेज के केस में धाराएं कम करने के लिए मांगी थी रिश्वत। |
समाचार प्रभारी। सौरव दिक्षित
रिश्वत लेने की दोषी महिला दरोगा अमृता यादव सेवा से बर्खास्त, रंगेहाथों पकड़े जाने के बाद 7 साल की सजा भी हुई थी
मेरठ | 6 मई 2025
उत्तर प्रदेश पुलिस की महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव को रिश्वत लेने के गंभीर आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। डीआईजी कलानिधि नैथानी ने इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए बताया कि वर्ष 2017 में हुए इस मामले को शासन और पुलिस मुख्यालय की मंशा के अनुरूप गंभीरता से लिया गया। यादव को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों (दंड एवं अपील) नियमावली, 1991 के नियम 8(2)(क) के अंतर्गत राजहित में बर्खास्त किया गया।
2017 में पकड़ी गई थीं रंगेहाथ
मामला जून 2017 का है, जब मेरठ कोतवाली थाना क्षेत्र की बुढाना गेट चौकी प्रभारी अमृता यादव ने दहेज उत्पीड़न के एक केस में धाराएं कम करने के बदले शिकायतकर्ता समीर से एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। बाद में 20 हजार रुपये पर बात तय हुई। समीर ने एंटी करप्शन टीम से शिकायत की, जिसके बाद टीम ने जाल बिछाकर महिला दरोगा को रंगेहाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
अदालत से 7 साल की सजा, विभागीय जांच में भी दोषी
2024 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने अमृता यादव को 7 साल की सजा और 75 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया। विभागीय जांच में भी उन्हें दोषी पाया गया। वर्तमान में अमृता यादव बागपत जेल में सजा काट रही हैं।
पहले भी लग चुके थे आरोप
यह पहला मौका नहीं था जब अमृता यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। पूर्व में महिला थाने में तैनाती के दौरान भी उन पर रिश्वत मांगने की शिकायतें हुई थीं, लेकिन कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई थी। बुढाना गेट चौकी पर तैनाती के दौरान वह अपने ही थाने में आरोपी बन गईं।
डीआईजी का सख्त संदेश
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने कहा, “कोई भी पुलिसकर्मी अगर भ्रष्टाचार, अपराध या अनुशासनहीनता में लिप्त पाया जाता है और कोर्ट में दोषी सिद्ध होता है, तो उसे सेवा में बने रहने का अधिकार नहीं है। ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।”
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