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शुक्रवार, 4 जुलाई 2025

गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग की अजीब पहल: वसुंधरा, शिप्रा सन सिटी और राजनगर को घोषित किया ‘स्लम एरिया’

 



गाजियाबाद। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहर के नामी और विकसित माने जाने वाले इलाकेवसुंधरा, शिप्रा सन सिटी और राजनगर — को विभाग ने अपने रिकॉर्ड में ‘स्लम एरिया’ घोषित कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि इन क्षेत्रों को स्लम बताकर यहां आशा कार्यकर्ताओं की भर्ती की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।


यह अधिसूचना मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि इन क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए आशा कार्यकर्ताओं की जरूरत है।


कब और कैसे हुए ये क्षेत्र ‘स्लम’ घोषित?


स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इन विकसित कॉलोनियों को स्लम क्षेत्र घोषित करने का आधार क्या है। ना तो कोई सर्वे सामने आया और ना ही सार्वजनिक रूप से कोई प्रक्रिया बताई गई।


आशा कार्यकर्ताओं की भर्ती राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) के तहत


NUHM के तहत चयनित आशा कार्यकर्ताओं को शहरी स्लम क्षेत्रों में नियुक्त किया जाना है। चयन की प्रक्रिया के लिए शहर के कई क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। इन क्षेत्रों में घर-घर जाकर महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएं देने का लक्ष्य है।


कहां कितनी आशा कार्यकर्ताओं की जरूरत


अर्थला मोहननगर: 11


भोपुरा: 9


बुद्ध विहार विजयनगर: 13


दीनदयालपुरी: 9


घूकना: 8


महाराजपुर: 24


मकनपुर: 9


शिप्रा सन सिटी: 6


वसुंधरा: 12


राजनगर: 10


शास्त्रीनगर: 3

इसके अलावा विजयनगर, खोड़ा, लोनी, खैरातीनगर, न्यू डिफेंस कॉलोनी, न्यू शालीमार गार्डन और शालीमार गार्डन में भी आशा कार्यकर्ताओं की भर्ती की जाएगी।



अधिकारियों की सफाई


सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन का कहना है कि यह वर्गीकरण WHO द्वारा तय मानकों के आधार पर किया गया है। वहीं एनयूएचएम के नोडल अधिकारी आर.के. गुप्ता के अनुसार “अर्बन स्लम” से आशय उन घनी बसी शहरी आबादियों से है जो अर्बन पीएचसी के दायरे में आती हैं।


आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका


चयनित आशा कार्यकर्ताओं को स्लम घोषित क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण, टीकाकरण, प्रसव पूर्व और बाद की देखभाल, और स्वास्थ्य जागरूकता जैसे कार्यों की जिम्मेदारी दी जाएगी। इन्हें इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।


क्यों उठाया गया यह कदम?


सरकार का मानना है कि स्लम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना बेहद जरूरी है। इस प्रयास से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और गरीब परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की दिशा में मदद मिलेगी।


हालांकि, पॉश इलाकों को स्लम घोषित करना न केवल सवाल खड़े करता है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों के लिए भ्रम और चिंता का विषय भी बन गया है। क्या यह सिर्फ एक तकनीकी वर्गीकरण है या प्रशासनिक चूक? यह स्पष्ट होना बाकी है।


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