गाजियाबाद के मोदीनगर में नगर पालिकाध्यक्ष विनोद वैशाली की फैक्टरी में हुई बड़ी लूट का खुलासा बुधवार को निवाड़ी पुलिस ने कर दिया। इस सनसनीखेज वारदात में चौंकाने वाली बात यह रही कि लूट की साजिश उसी ठेकेदार ने रची थी जो चार साल से पालिकाध्यक्ष के यहां काम कर रहा था। पुलिस ने मुठभेड़ के बाद मुख्य आरोपी शान मोहम्मद उर्फ सोनू को गिरफ्तार कर लिया, जो मुठभेड़ में पैर में गोली लगने से घायल हो गया। उसका साथी अलीशान मौके से फरार हो गया।
कैसे हुआ खुलासा?
पुलिस ने बताया कि लुटेरों को रोकने पर उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी और जीडीए की निर्माणाधीन कॉलोनी की ओर भागने लगे। जवाबी कार्रवाई में शान मोहम्मद को पैर में गोली लगी, जिससे वह गिर पड़ा और पकड़ा गया। मौके से 9.14 लाख रुपये की नकदी, करीब 15 लाख रुपये के गहने, तमंचा और लूट में इस्तेमाल की गई बाइक बरामद की गई।
चार साल से था विश्वासपात्र, इसी का उठाया फायदा
पूछताछ में शान मोहम्मद ने बताया कि वह करीब चार साल से विनोद वैशाली की कोठी और फैक्टरी में टाइल्स पत्थर लगाने का काम करता था। इस दौरान वह इतना विश्वसनीय हो गया कि उसे पारिवारिक जिम्मेदारियां तक सौंप दी गईं। फैक्टरी में काम के दौरान उसे यह भी जानकारी हो गई कि नकदी और गहने कहां रखे जाते हैं।
नए कारीगर के साथ मिलकर बनाई लूट की योजना
करीब एक माह पहले अलीशान नाम का युवक शान के साथ काम करने आया। दोनों ने मिलकर 26 मई की रात फैक्टरी की दीवार फांदकर लूट को अंजाम दिया। चौकीदार रामलाल के विरोध करने पर उसे बंधक बनाकर सिर पर पाइप से वार किया गया। चार घंटे तक फैक्टरी में रहकर लुटेरों ने नकदी और गहनों को समेटा। बाद में रकम बैंक में जमा कर दी और गहनों को छिपा दिया।
लूट के अगले दिन सांत्वना देने पहुंचा, पहने थे वही कपड़े
दिलचस्प बात यह रही कि लूट के अगले ही दिन शान मोहम्मद सांत्वना देने के बहाने फैक्टरी पहुंचा और वही कपड़े पहने था, जो वारदात के दौरान थे। वह सीसीटीवी फुटेज में भी कैद हुआ, लेकिन उस पर किसी को शक नहीं हुआ क्योंकि वह पालिकाध्यक्ष का भरोसेमंद था। बाद में जब उसकी बाइक फुटेज से मेल खाई, तो पुलिस ने नजरें टेढ़ी की और जाल बिछाकर उसे दबोच लिया।
आंदोलन कर रहे सभासदों ने समाप्त किया धरना
लूट की वारदात का खुलासा न होने पर मोदीनगर नगर पालिका परिषद के सभासद बीते मंगलवार से एसीपी कार्यालय के बाहर धरना दे रहे थे। पुलिस द्वारा लूट का खुलासा किए जाने के बाद सभी सभासदों ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी।
यह मामला न केवल एक बड़ी लूट की साजिश का पर्दाफाश है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक भरोसेमंद व्यक्ति ही सबसे बड़ा धोखेबाज़ निकल सकता है।
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